DIVYA UPCHAR SANSTHAN
‘Divya Upchar Sansthan’ is conceptualized by Sh. Manish Ji who is also the founder of the organization. ‘Divya Upchar Sansthan’ stands to cure the diseases which are difficult to treat with modern medicines and have considerable adverse effects on human body. The ‘Sansthan’ focuses on treating the causes of the diseases and to bring the sustainable, long term relief, thereby helping people to live their life happily.
Sunday, 28 June 2020
Sunday, 31 March 2019
Constipation
Constipation :-
आज दुनिया भर में हर 5 में से 3 व्यक्तियों को Constipation की समस्या है। और धीरे-धीरे यह समस्या गलत खान पान की वजह से बढ़ती जा रही है जिसके लिए लोग विभिन्न-विभिन्न प्रकार का चूरन, दवाइयां इत्यादि लेते हैं। लेकिन उन्हें इस समस्या से राहत नहीं मिल पाती है। एक पुरानी कहावत है की जिस व्यक्ति का पेट साफ़ हो और जिस पर कोई कर्ज़ ना हो तो उससे बड़ा सुखी कोई नही। पाउडर, क्रीम, लिपिस्टिक आदि से चेहरे को निखारा जा सकता है पर अन्दर की ताज़गी नहीं बनाई जा सकती। शरीर के अन्दर की ताज़गी को महसूस कर पाना एक बहुत ही आनंद भरा अनुभव होता है। अन्यथा पेट साफ़ न हो तो पूरा दिन मन स्फूर्ति से कार्य नहीं कर पाता है।सरल भाषा में कॉन्स्टिपेशन होने का अर्थ है, पेट ठीक तरह से साफ नहीं हुआ है या शरीर में तरल पदार्थ की कम है।
यह Digestive सिस्टम का एक रोग है जिसमे कष्टपूर्ण, अपूर्ण (incomplete) मल विसर्जित होता है।
कब्ज यानि कॉन्स्टिपेशन पाचन तंत्र से जुड़ी एक गम्भीर समस्या है जो की किसी भी आयु वर्ग के लोगो को प्रभावित कर सकती है।
Causes of Constipation :-
तला हुआ भोजन, बासी भोजन, वक्त-बेवक्त भोजन करने की आदत
तले हुए मैदे से बनी चीज़ें
तेज मिर्च-मसालेदार चटपटे भोजन का सेवन करना
पानी कम पीना
खाने को ठीक से चबा कर ना खाना
पेनकिलर्स दर्द निवारक दवाओं का दुष्प्रभाव
रेशेदार आहार की कमी होना
चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट शराब आदि का सेवन करना
मानसिक तनाव होना
Types Of Constipation :-
Constipation तीन प्रकार का होता है :-
1. Atomic Constipation :- इसमें मल पदार्थों की गति कम होती है तथा Peristaltic Movement कमज़ोर होता है।
2. Spastic Constipation :- इसमें बड़ी आंतों की दीवार में ऐसा परिवर्तन आ जाता है कि जिससे की बड़ी आंत की ducts hyper active हो जाती है और मल आगे बढ़कर आगे नहीं निकल पाता।
3. Obstructive Constipation :- इसमें बड़ी आंत के 8 से 10 इंच वाले भाग में अवरोध हो जाता है जिससे आंत पूर्णतः बध हो जाता है।
Diet in Constipation :-
Food Allowed :- फाइबर युक्त भोजन, पानी का अधिक से अधिक पिएं।
Vegetables :- कच्ची सब्जियों का सेवन करें। जैसे की खीरा, ककड़ी, चुकंदर, ब्रोकली, कच्चे सलाद और सब्जी।
अंकुरित अनाज :- गेहूं, चना, जौ, चौकर युक्त आटे की चपाती, दलिया, खिचड़ी , मूंग , अरहर की दाल,
ककड़ी, शलगम, गाजर, मूली, टमाटर, पालक, मेथी, पत्तागोभी , बथुआ ,प्याज, नींबू का रस।
Beverages :- छांछ, शरबत, सूप, लस्सी, मट्ठा, पानी इत्यादि।
Fruits :- सेब, अनार, अमरुद, पपीता, केला, आम, खरबूजा।
Dry fruits :- मुनक्का, अंजीर, किशमिश , बादाम।
Food not Allowed :-
मैदा, सफ़ेद ब्रेड , गेहूं के आटे की रोटी कम से कम खाएं, बासी ठंडा खाना, मैदे से बनी चीज़ें।
तला हुआ खाना, अंडा, मांस, चटपटी चीज़ें, और मसालेदार खाना।
बैंगन, अरबी, मसूर, चने की दाल।
केला, सेब, प्याज़, मूली, दही रात को न लें।
Beverages :-
शराब, चाय, कॉफ़ी, तम्बाकू।
आज दुनिया भर में हर 5 में से 3 व्यक्तियों को Constipation की समस्या है। और धीरे-धीरे यह समस्या गलत खान पान की वजह से बढ़ती जा रही है जिसके लिए लोग विभिन्न-विभिन्न प्रकार का चूरन, दवाइयां इत्यादि लेते हैं। लेकिन उन्हें इस समस्या से राहत नहीं मिल पाती है। एक पुरानी कहावत है की जिस व्यक्ति का पेट साफ़ हो और जिस पर कोई कर्ज़ ना हो तो उससे बड़ा सुखी कोई नही। पाउडर, क्रीम, लिपिस्टिक आदि से चेहरे को निखारा जा सकता है पर अन्दर की ताज़गी नहीं बनाई जा सकती। शरीर के अन्दर की ताज़गी को महसूस कर पाना एक बहुत ही आनंद भरा अनुभव होता है। अन्यथा पेट साफ़ न हो तो पूरा दिन मन स्फूर्ति से कार्य नहीं कर पाता है।सरल भाषा में कॉन्स्टिपेशन होने का अर्थ है, पेट ठीक तरह से साफ नहीं हुआ है या शरीर में तरल पदार्थ की कम है।
यह Digestive सिस्टम का एक रोग है जिसमे कष्टपूर्ण, अपूर्ण (incomplete) मल विसर्जित होता है।
कब्ज यानि कॉन्स्टिपेशन पाचन तंत्र से जुड़ी एक गम्भीर समस्या है जो की किसी भी आयु वर्ग के लोगो को प्रभावित कर सकती है।
Causes of Constipation :-
तला हुआ भोजन, बासी भोजन, वक्त-बेवक्त भोजन करने की आदत
तले हुए मैदे से बनी चीज़ें
तेज मिर्च-मसालेदार चटपटे भोजन का सेवन करना
पानी कम पीना
खाने को ठीक से चबा कर ना खाना
पेनकिलर्स दर्द निवारक दवाओं का दुष्प्रभाव
रेशेदार आहार की कमी होना
चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट शराब आदि का सेवन करना
मानसिक तनाव होना
Types Of Constipation :-
Constipation तीन प्रकार का होता है :-
1. Atomic Constipation :- इसमें मल पदार्थों की गति कम होती है तथा Peristaltic Movement कमज़ोर होता है।
2. Spastic Constipation :- इसमें बड़ी आंतों की दीवार में ऐसा परिवर्तन आ जाता है कि जिससे की बड़ी आंत की ducts hyper active हो जाती है और मल आगे बढ़कर आगे नहीं निकल पाता।
3. Obstructive Constipation :- इसमें बड़ी आंत के 8 से 10 इंच वाले भाग में अवरोध हो जाता है जिससे आंत पूर्णतः बध हो जाता है।
Diet in Constipation :-
Food Allowed :- फाइबर युक्त भोजन, पानी का अधिक से अधिक पिएं।
Vegetables :- कच्ची सब्जियों का सेवन करें। जैसे की खीरा, ककड़ी, चुकंदर, ब्रोकली, कच्चे सलाद और सब्जी।
अंकुरित अनाज :- गेहूं, चना, जौ, चौकर युक्त आटे की चपाती, दलिया, खिचड़ी , मूंग , अरहर की दाल,
ककड़ी, शलगम, गाजर, मूली, टमाटर, पालक, मेथी, पत्तागोभी , बथुआ ,प्याज, नींबू का रस।
Beverages :- छांछ, शरबत, सूप, लस्सी, मट्ठा, पानी इत्यादि।
Fruits :- सेब, अनार, अमरुद, पपीता, केला, आम, खरबूजा।
Dry fruits :- मुनक्का, अंजीर, किशमिश , बादाम।
Food not Allowed :-
मैदा, सफ़ेद ब्रेड , गेहूं के आटे की रोटी कम से कम खाएं, बासी ठंडा खाना, मैदे से बनी चीज़ें।
तला हुआ खाना, अंडा, मांस, चटपटी चीज़ें, और मसालेदार खाना।
बैंगन, अरबी, मसूर, चने की दाल।
केला, सेब, प्याज़, मूली, दही रात को न लें।
Beverages :-
शराब, चाय, कॉफ़ी, तम्बाकू।
शुगर के रोगी आज अपनाए ये जीवनशैली :-
शुगर के रोगी आज अपनाएं
ये जीवनशैली :-
शुगर एक ऐसी बीमारी है जो सिर्फ बड़ों को ही नहीं बच्चों को भी तेजी से अपना शिकार बना रही है । विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, आज दुनिया भर में करीब 422 मिलियन लोग शुगर की समस्या से पीड़ित हैं जिसमे से करोड़ों भारत में ही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में करीब 1.5 मिलियन मौतों की वजह शुगर रही ।
शुगर की बीमारी धीरे -2 पूरी दुनिया में फैलाती जा रही है ! यह बीमारी बढ़ते हुए तनाव ,शारीरिक श्रम के आभाव और बिगड़ती हुई जीवनशैली के कारण का परिणाम है।
शुगर के होने के 5-10 वर्षों में अनेक रोगियों की किडनी, आंख या नसें खराब होने लगती हैं। यदि शुगर को कंट्रोल करके नहीं रखा जाए तो रोगी अनेक रोगों से पीड़ित हो सकता है।
शुगर दो प्रकार की होती है :-
टाइप 1 : जब हमारे शरीर में इन्सुलिन नहीं बनता तो इसे टाइप 1 शुगर कहते है !
टाइप 2 : जब शरीर में जरुरत से कम मात्रा में इन्सुलिन बनती है और वो इन्सुलिन शरीर में सही तरीके से कार्य नहीं करती है तो वो टाइप 2 शुगर कहलाती है !
लक्षण
अधिक प्यास या भूख लगना
चीजों का धुंधला नज़र आना
घाव भरने में ज्यादा वक्त लगना
शरीर का तापमान कम होना
वजन बढ़ना, थकान होना
मितली होना और कभी-कभी उल्टी होना !
आयुर्वेद के अनुसार इलाज :-
आयुर्वेद के अनुसार शुगर के लिए बहुत सारे ऐसे नुश्खे दिए गए है जिससे ब्लड शुगर लेवल को कण्ट्रोल किया जा सकता है ।
अमृता, विजयसार, मेथीदाना, करेला, जामुन और इसकी गुठली का चूर्ण सुबह शाम 5-5 ग्राम भोजन के 30 मिनट पहले लें ।
शारीरिक परिश्रम : -
सबसे सहज एवं सरल है प्रतिदिन एक घंटा या पांच किलोमीटर चलना, इसके अलावा जॉगिंग, डांसिग, योग, व्यायाम अथवा इन सभी का मिला-जुला प्रयोग सप्ताह में कम-से-कम पांच दिन जरूर करें, आफिस में सहयोगी से बात करनी हो, फाइल लेना हो, तो उठ कर जाएं, मोबाइल इत्यादि का इस्तेमाल कम करें, हर घंटे पांच मिनट के लिए कुरसी छोड़ कर थोड़ा चलें, लगातार घंटो तक बैठना घातक है इसलिए एक बात याद रखें कि शारीरिक श्रम का कोई विकल्प नहीं है।
खान-पान में सावधानियां :- यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, तो कैलोरी का सेवन कम करना जरूरी है।
चावल, गेहूं, मिठाइयां, तली हुई चीजें कैलोरी से भरपूर होती हैं, इन्हें कम करके सब्जी, सलाद, सूप, फलों का प्रयोग अधिक करना उत्तम रहता है। मोटे अनाजों जैसे रागी-मडुवा, ज्वार, बाजरा, मकई आदि को पुन: अपने भोजन में शामिल करें , रात के भोजन में तली चीजें कम खाना शुरू कर दें, बाजार का भोजन, डब्बा बंद भोजन, विशेष कर तली हुई चीजों को जितना हो सकें कम सेवन करें। स्वाद के साथ स्वास्थ्य को भी महत्व देना जरूरी है।
सब्जियां :- पालक, करेला, सीता फल, ककड़ी, तोरई , टिंडा, शिमला मिर्च, भिंडी, खीरा, सोया का साग, गाजर, बथुआ आदि खा सकते है और लहसुन तो सबसे बेहतरीन उपाय है ग्लूकोज़ के लेवल को कम करने का।
फाइबर व ओमेगा 3 फैटी एसिड ज्यादा हो :-
इसमें बिना पोलिश किये हुए चावल या ब्राउन राइस, छिलके वाली दालें, चोकर मिला आटा प्रयोग करें, दिन भर में 4-5 कटोरी सब्जियां कच्ची सलाद इत्यादि लें।
जूस :-
करेला, गाजर, पालक, लोकी, शलजम आदि का जूस पी सकते है।
ध्यान रखने योग्य बातें :-
रात को सोने से 3 घंटे पहले भोजन ले क्योंकि रात के समय लिवर दिन की अपेक्षा 25 % कम काम करता है ।
आठ घंटे की नींद अवश्य लें ।
तनाव और चिंता से दूर रहे इसके लिए आप योग एवं मैडिटेशन कर सकते है।
जैसे की कुछ खास योगासन और प्राणायाम है जो ब्लड ग्लूकोज स्तर और ब्लड प्रेशर को कम करने में सहायक हैं।
कपालभांति क्रिया, भुजंगासन , मंडूकासन, भस्त्रिका प्रणायाम इत्यादि।
ये जीवनशैली :-
शुगर एक ऐसी बीमारी है जो सिर्फ बड़ों को ही नहीं बच्चों को भी तेजी से अपना शिकार बना रही है । विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, आज दुनिया भर में करीब 422 मिलियन लोग शुगर की समस्या से पीड़ित हैं जिसमे से करोड़ों भारत में ही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में करीब 1.5 मिलियन मौतों की वजह शुगर रही ।
शुगर की बीमारी धीरे -2 पूरी दुनिया में फैलाती जा रही है ! यह बीमारी बढ़ते हुए तनाव ,शारीरिक श्रम के आभाव और बिगड़ती हुई जीवनशैली के कारण का परिणाम है।
शुगर के होने के 5-10 वर्षों में अनेक रोगियों की किडनी, आंख या नसें खराब होने लगती हैं। यदि शुगर को कंट्रोल करके नहीं रखा जाए तो रोगी अनेक रोगों से पीड़ित हो सकता है।
शुगर दो प्रकार की होती है :-
टाइप 1 : जब हमारे शरीर में इन्सुलिन नहीं बनता तो इसे टाइप 1 शुगर कहते है !
टाइप 2 : जब शरीर में जरुरत से कम मात्रा में इन्सुलिन बनती है और वो इन्सुलिन शरीर में सही तरीके से कार्य नहीं करती है तो वो टाइप 2 शुगर कहलाती है !
लक्षण
अधिक प्यास या भूख लगना
चीजों का धुंधला नज़र आना
घाव भरने में ज्यादा वक्त लगना
शरीर का तापमान कम होना
वजन बढ़ना, थकान होना
मितली होना और कभी-कभी उल्टी होना !
आयुर्वेद के अनुसार इलाज :-
आयुर्वेद के अनुसार शुगर के लिए बहुत सारे ऐसे नुश्खे दिए गए है जिससे ब्लड शुगर लेवल को कण्ट्रोल किया जा सकता है ।
अमृता, विजयसार, मेथीदाना, करेला, जामुन और इसकी गुठली का चूर्ण सुबह शाम 5-5 ग्राम भोजन के 30 मिनट पहले लें ।
शारीरिक परिश्रम : -
सबसे सहज एवं सरल है प्रतिदिन एक घंटा या पांच किलोमीटर चलना, इसके अलावा जॉगिंग, डांसिग, योग, व्यायाम अथवा इन सभी का मिला-जुला प्रयोग सप्ताह में कम-से-कम पांच दिन जरूर करें, आफिस में सहयोगी से बात करनी हो, फाइल लेना हो, तो उठ कर जाएं, मोबाइल इत्यादि का इस्तेमाल कम करें, हर घंटे पांच मिनट के लिए कुरसी छोड़ कर थोड़ा चलें, लगातार घंटो तक बैठना घातक है इसलिए एक बात याद रखें कि शारीरिक श्रम का कोई विकल्प नहीं है।
खान-पान में सावधानियां :- यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, तो कैलोरी का सेवन कम करना जरूरी है।
चावल, गेहूं, मिठाइयां, तली हुई चीजें कैलोरी से भरपूर होती हैं, इन्हें कम करके सब्जी, सलाद, सूप, फलों का प्रयोग अधिक करना उत्तम रहता है। मोटे अनाजों जैसे रागी-मडुवा, ज्वार, बाजरा, मकई आदि को पुन: अपने भोजन में शामिल करें , रात के भोजन में तली चीजें कम खाना शुरू कर दें, बाजार का भोजन, डब्बा बंद भोजन, विशेष कर तली हुई चीजों को जितना हो सकें कम सेवन करें। स्वाद के साथ स्वास्थ्य को भी महत्व देना जरूरी है।
सब्जियां :- पालक, करेला, सीता फल, ककड़ी, तोरई , टिंडा, शिमला मिर्च, भिंडी, खीरा, सोया का साग, गाजर, बथुआ आदि खा सकते है और लहसुन तो सबसे बेहतरीन उपाय है ग्लूकोज़ के लेवल को कम करने का।
फाइबर व ओमेगा 3 फैटी एसिड ज्यादा हो :-
इसमें बिना पोलिश किये हुए चावल या ब्राउन राइस, छिलके वाली दालें, चोकर मिला आटा प्रयोग करें, दिन भर में 4-5 कटोरी सब्जियां कच्ची सलाद इत्यादि लें।
जूस :-
करेला, गाजर, पालक, लोकी, शलजम आदि का जूस पी सकते है।
ध्यान रखने योग्य बातें :-
रात को सोने से 3 घंटे पहले भोजन ले क्योंकि रात के समय लिवर दिन की अपेक्षा 25 % कम काम करता है ।
आठ घंटे की नींद अवश्य लें ।
तनाव और चिंता से दूर रहे इसके लिए आप योग एवं मैडिटेशन कर सकते है।
जैसे की कुछ खास योगासन और प्राणायाम है जो ब्लड ग्लूकोज स्तर और ब्लड प्रेशर को कम करने में सहायक हैं।
कपालभांति क्रिया, भुजंगासन , मंडूकासन, भस्त्रिका प्रणायाम इत्यादि।
Saturday, 30 March 2019
पीलिया की बीमारी में लें , ये ख़ास आहार :-
पीलिया की बीमारी में लें
ये ख़ास आहार :-
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमे आँखे, त्वचा, यहाँ तक की यूरिन भी पीला होने लगता है। रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाने के कारण यह परिवर्तन होता है।यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह एक बीमारी या परिस्थिति का लक्षण है, जिसमें तत्काल चिकित्सकीय मदद लेने की जरूरत पड़ती है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि आपको पीलिया की शिकायत लग रही है या आप इससे ग्रस्त हो गए है तो इसके लिए सबसे अच्छा है की पानी की मात्रा बढ़ा दी जाये। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और उसके बाद अपनी डाइट में कुछ समय के लिए लिक्विड डाइट (liquid) लेना शुरू कर दें ।
पीलिया होने पर जीतना ज्यादा हो सके उतना लिक्विड डाइट (liquid) ली जाए तो इस समस्या में जल्दी राहत मिलती है।
किसी भी बीमारी से उभरने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यही बात पीलिया के लिए भी उतनी ही सच है।
एलोपैथी में पीलिया के लिए टीकाकरण और दवाइयों द्वारा ट्रीटमेंट किया जाता है लेकिन आयुर्वेद में खान पान में कुछ बदलाव और परहेज कर इस समस्या से जल्दी ठीक होने के बारे में बताया गया है।
पहले तो यह जान लेते हैं की पीलिया के लक्षण कैसे दिखाई देतें है जिससे आम व्यक्ति इसके लक्षणों को देखकर सतर्क हो सके और सही सुचारु रूप से इसका इलाज करवा सके।
लक्षण :-
बुखार
पेट में दर्द
थकान
कमज़ोरी
शरीर में खुजली
शरीर का रंग पीला पड़ना
उल्टी आना
कब्ज़
सिर दर्द होना
पेट में जलन
भूख न लगना
यदि आपको कुछ ऐसे लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अब बात करते हैं की पीलिया की शिकायत होने पर किस प्रकार जीवनशैली और खाने में बदलाव कर इस समस्या से जल्दी राहत मिल सकती है।
क्या खाएं :-
पीलिया के रोगियों को वैसी हरी सब्जियां और खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पच जाए।
खाने में ऐसी सब्जियों का सेवन करो जो खाने में कड़वी हो जैसे की करेला।इसका रस पीलिया के मामले में बहुत फायदेमंद होता है।
मूली का रस :-
आयुर्वेद के चिकित्सकों के अनुसार मूली के रस में इतनी ताकत होती है की वह खून और लिवर से अत्यधिक बिलीरुबिन को निकाल सके। इसलिए पीलिया के रोगी को दिन में कम से कम 2 से 3 गिलास मूली के रस का सेवन करना चाहिए।
टमाटर का रस :-
टमाटर में विटामिन सी पाया जाता है, इसलिए यह लाइकोपीन से भरपूर होता है। यह एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है जो की लिवर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
आंवले का सेवन :-
आंवले में विटामिन सी पाया जाता है यह लिवर को साफ़ करने में मदद करता है। इसे सूखाकर और वैसे भी यानी की कच्चा भी खाया जा सकता है।दोनों रूप में ये फायदेमंद होता है।
तुलसी की पत्तियां :-
आयुर्वेद में पीलिया के रोग में तुलसी का सेवन बहुत प्रभावी माना गया है।सुबह खाली पेट 4-5 पत्तियां तुलसी की लें ये एक प्राकृतिक तरीका है जो लिवर को साफ़ करने में मदद करता है।
नींबू पानी :-
पीलिया होने पर रोज खाली पेट एक गिलास नींबू पानी का सेवन करें।
नारियल पानी :-
नारियल पानी भी बहुत अच्छा होता है इस रोग में इसलिए इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं।
क्या नहीं खाना चाहिए :-
पीलिया के रोग होने पर मसालेदार खाना, नमकीन खाना, तेलयुक्त भोजन, मिठाइयां, मीट मछली, मैदे से बने व्यंजन इत्यादि का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
शराब का सेवन बिलकुल न करे :-
शराब का सेवन तो शरीर के लिए वैसे भी ठीक नहीं होता है लेकिन पीलिया होने पर शराब का सेवन बिलकुल बंद कर दें क्योंकि इस समय शराब ज़हर का काम करता है।
दूषित पानी न पिएं :-
पानी को उबाल कर पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है इसलिए पानी को उबाल कर पिएं और गलती से बासी खाने से बचें।
ये ख़ास आहार :-
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमे आँखे, त्वचा, यहाँ तक की यूरिन भी पीला होने लगता है। रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाने के कारण यह परिवर्तन होता है।यह अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह एक बीमारी या परिस्थिति का लक्षण है, जिसमें तत्काल चिकित्सकीय मदद लेने की जरूरत पड़ती है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि आपको पीलिया की शिकायत लग रही है या आप इससे ग्रस्त हो गए है तो इसके लिए सबसे अच्छा है की पानी की मात्रा बढ़ा दी जाये। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और उसके बाद अपनी डाइट में कुछ समय के लिए लिक्विड डाइट (liquid) लेना शुरू कर दें ।
पीलिया होने पर जीतना ज्यादा हो सके उतना लिक्विड डाइट (liquid) ली जाए तो इस समस्या में जल्दी राहत मिलती है।
किसी भी बीमारी से उभरने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यही बात पीलिया के लिए भी उतनी ही सच है।
एलोपैथी में पीलिया के लिए टीकाकरण और दवाइयों द्वारा ट्रीटमेंट किया जाता है लेकिन आयुर्वेद में खान पान में कुछ बदलाव और परहेज कर इस समस्या से जल्दी ठीक होने के बारे में बताया गया है।
पहले तो यह जान लेते हैं की पीलिया के लक्षण कैसे दिखाई देतें है जिससे आम व्यक्ति इसके लक्षणों को देखकर सतर्क हो सके और सही सुचारु रूप से इसका इलाज करवा सके।
लक्षण :-
बुखार
पेट में दर्द
थकान
कमज़ोरी
शरीर में खुजली
शरीर का रंग पीला पड़ना
उल्टी आना
कब्ज़
सिर दर्द होना
पेट में जलन
भूख न लगना
यदि आपको कुछ ऐसे लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अब बात करते हैं की पीलिया की शिकायत होने पर किस प्रकार जीवनशैली और खाने में बदलाव कर इस समस्या से जल्दी राहत मिल सकती है।
क्या खाएं :-
पीलिया के रोगियों को वैसी हरी सब्जियां और खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पच जाए।
खाने में ऐसी सब्जियों का सेवन करो जो खाने में कड़वी हो जैसे की करेला।इसका रस पीलिया के मामले में बहुत फायदेमंद होता है।
मूली का रस :-
आयुर्वेद के चिकित्सकों के अनुसार मूली के रस में इतनी ताकत होती है की वह खून और लिवर से अत्यधिक बिलीरुबिन को निकाल सके। इसलिए पीलिया के रोगी को दिन में कम से कम 2 से 3 गिलास मूली के रस का सेवन करना चाहिए।
टमाटर का रस :-
टमाटर में विटामिन सी पाया जाता है, इसलिए यह लाइकोपीन से भरपूर होता है। यह एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है जो की लिवर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
आंवले का सेवन :-
आंवले में विटामिन सी पाया जाता है यह लिवर को साफ़ करने में मदद करता है। इसे सूखाकर और वैसे भी यानी की कच्चा भी खाया जा सकता है।दोनों रूप में ये फायदेमंद होता है।
तुलसी की पत्तियां :-
आयुर्वेद में पीलिया के रोग में तुलसी का सेवन बहुत प्रभावी माना गया है।सुबह खाली पेट 4-5 पत्तियां तुलसी की लें ये एक प्राकृतिक तरीका है जो लिवर को साफ़ करने में मदद करता है।
नींबू पानी :-
पीलिया होने पर रोज खाली पेट एक गिलास नींबू पानी का सेवन करें।
नारियल पानी :-
नारियल पानी भी बहुत अच्छा होता है इस रोग में इसलिए इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं।
क्या नहीं खाना चाहिए :-
पीलिया के रोग होने पर मसालेदार खाना, नमकीन खाना, तेलयुक्त भोजन, मिठाइयां, मीट मछली, मैदे से बने व्यंजन इत्यादि का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
शराब का सेवन बिलकुल न करे :-
शराब का सेवन तो शरीर के लिए वैसे भी ठीक नहीं होता है लेकिन पीलिया होने पर शराब का सेवन बिलकुल बंद कर दें क्योंकि इस समय शराब ज़हर का काम करता है।
दूषित पानी न पिएं :-
पानी को उबाल कर पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है इसलिए पानी को उबाल कर पिएं और गलती से बासी खाने से बचें।
Tuesday, 19 March 2019
लाल फल और लाल सब्जियां अधिक खाएं :-
लाल फल और लाल सब्जियां अधिक खाएं :-
वैसे तो हर प्रकार के फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए लेकिन अच्छी सेहत के लिए आप अपने आहार में लाल फल और लाल सब्जियों का सेवन अधिक करें।ऐसा कहने के पीछे का कारण यह है की इसमें बाकियों के मुकाबले ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व पाएं जाते हैं।लाल रंग के फल और सब्जियां एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे लाइकोपीन और एंथोकाइनिन से भरपूर होते हैं जिनके सेवन से हृदय संबंधी समस्याएं, स्ट्रोक और मैकुलर डिजेनरेशन आदि का खतरा कम होता है। आइए जानते हैं कि लाल रंग के फलों और सब्जियों के सेवन से आपको क्या लाभ मिलते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट महत्वपूर्ण :-
गहरे लाल रंग के फलों और सब्जियों में आयरन, फाइबर, और फाइटो न्यूट्रिएंट्स पाए जाते है।कुछ एंजाइम्स भी होते है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है।ये सब अन्य फल-सब्जियों में नहीं पाए जाते है।लाल रंग के फल व सब्जी फैट, कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने में मदद करते है।इसमें कैलोरी, सोडियम भी कम मात्रा में होता है।
95% युवा प्रयाप्त मात्रा में लाल रंग के फल और सब्जियां नहीं लेते हैं।
85% लाइकोपिन की पूर्ति शरीर में टमाटर खाने से होती है।
विटामिन सी
लाइकोपीन
क्वरसेटिन
एलैजिक एसिड
हेस्पेरेडिन
विटामिन सी :-
टमाटर में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है इसके सेवन से उम्र बढने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और आप लंबे समय तक स्वस्थ और जवां रहते हैं।यह कैंसर, हृदय रोग, गठिया जैसी गंभीर समस्याओं के खतरे को कम करता है।लाल शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, रेस्पबेरी, टमाटर आदि में विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है।
लाइकोपीन :-
लाइकोपीन केराटेनोइड है जिसके कारण फलों और सब्जियों को उनका लाल रंग मिलता है।यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं जो आपके शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाता है।
क्वरसेटिन:-
लाल मिर्च में क्वरसेटिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
क्वरसेटिन एक फ्लैवोनेइड है जो अधिकतर गाढ़े रंग वाली सब्जियों और फलों में पाया जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर, कोलन कैंसर, अस्थमा आदि समस्याओं से बचाव करता है। लाल प्याज, क्रेनबेरी, चेरी, सेब और लाल मिर्च में क्वरसेटिन पाया जाता है।
एंथोसियानिन:-
गहरे लाल रंग की चैरीज़ में भरपूर मात्रा में पोषण होता है, चैरी में पाया जाने वाला एंथोसियानिन उन्हें गहरा लाल रंग देता है।ये एंथोसियानिन शरीर को फ्री रैडिकल्स के नुकसान से बचाता है और बाहरी विषाक्तों को एजिंग की प्रक्रिया को तेज़ करने से दूर करता है।
एलैजिक एसिड :-
यह एक एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर की कोशिकाओं की रक्षा कर इन्हें डैमेज होने से बचाता है। इसके साथ ही घावों को भरने में भी मदद करता है।रेस्पबेरी, स्ट्रॉबेरी, अनार, अमरुद और क्रेनबेरी आदि में एलैजिक एसिड होता है।
हेस्पेरेडिन:-
हेस्पेरेडिन एक बायफ्लैवोनोइड है।यह सिट्रस फल जैसे की ग्रेपफ्रूट और आड़ू के छिलकों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है।हेस्पेरेडिन अस्थमा के संकेतों को कम करने में मदद करता है और साथ ही कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है।
इन फ़ल-सब्जियों का सेवन करें :-
अनार, तरबूज, सेब, चैरी, रसभरी, स्ट्रॉबेरी, लाल अंगूर, टमाटर, अमरुद, लाल शिमला मिर्च, राजमा, लाल मिर्च, चुकंदर, गाजर, प्याज लें।
ऊर्जा समान्य रहती है और आलस्य दूर रहता है :-
लाल रंग के फल और सब्जियों के सेवन से शरीर की ऊर्जा का स्तर सामान्य बना रहता है ये थकान और आलस्य दूर करते है। इनमे प्रोटीन और खनिज की मात्रा अधिक होती है। लाल रंग की कमी से खून की कमी, सहनशक्ति में कमी, सिरदर्द आदि के रूप में सामने आती है। इससे शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं से भी लड़ने में मदद मिलती है।
विपरीत गुणों से युक्त आहार , कर रहा है आपको बीमार ..
विपरीत गुणों से युक्त आहार
कर रहा है आपको बीमार
सावधानी बरतें
!! बीमारी से दूर रहें !!
खाने में balanced डाइट की बात हमेशा से की जाती है लेकिन इसके साथ क्या खाना है क्या इसका ज़रा भी ध्यान हम नहीं रखते है।खाने में सही कॉम्बिनेशन की जानकारी होंना बहुत आवश्यक है ,यानी की किस किस चीज़ को एक साथ खाना चाहिए और किस को नहीं इस बारे में आयुर्वेद में काफी जानकारी दी गई है ,जबकि Modern Medicine Food Combinations (मॉडर्न मेडिसिन फ़ूड कॉम्बिनेशंस) के बजाय Balanced Diet पर फोकस करती है।
आहार हमारे जीवन का आधार है, लेकिन खान पान में की गई लापरवाही के कारण हमे कइ बीमारी से दो चार होना पड़ता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी जीवनशैली के साथ साथ संतुलित भोजन लेना भी बहुत जरुरी है।इसके लिए जरुरी है हमारी खान पान की सही समझ होना।
जाने अनजाने में या जानकारी के अभाव से हम बहुत बार ऐसी चीज़ें खाते है जो शरीर के लिए घातक हो सकती है।
विरुद्ध आहार का मतलब होता है की खाने-पीने की वे चीज़ें जिन्हे एक साथ लेने से सेहत को नुकसान होता है। आयुर्वेद के अनुसार हमारे भोजन में इन गुणों का अवरोध या विरोध पाया जाता है इसे विरुद्ध आहार कहा जाता है।
फल, दही, सलाद, दालें हेल्थी फ़ूड तो है लेकिन पोषण तभी मिलता है जब आप इन्हे सभी कॉम्बिनेशन के साथ कई पौष्टिक चीज़ें खाते हैं लेकिन कुछ चीजों को एक साथ खाने से आपके शरीर को फायदे के बजाय नुकसान पहुंचता है।
हम खाने में एक साथ कई चीजें खाना पसंद करते हैं। लेकिन एक ही वक्त के खाने में कुछ चीजें एक साथ खाना कई बार फायदे की बजाय नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे में जरूरी है, यह जानना कि अच्छा खाना (गुड कॉम्बिनेशन) क्या है और खराब खाना (बैड कॉम्बिनेशन) क्या ? दरअसल, आयुर्वेद में अच्छा खाना उसे कहा जाता है, जो स्निग्ध (जिसमें घी हो) हो, लघु (हल्का और आसानी से पचनेवाला) और ऊष्ण (थोड़ा गर्म) हो। इस तरह का खाना पाचन बढ़ाता है, पेट साफ रखता है, शरीर को पोषण प्रदान करता है और आसानी से पच जाता है।दूसरी ओर, उलट मिजाज का खाना जिनका तापमान (बहुत ठंडा और गर्म), स्वाद (मीठा,खट्टा और नमकीन), गुण (हल्का और भारी) और तासीर (ठंड और गर्म) अलग-अलग हो, एक साथ नहीं लेने चाहिए।ऐसी चीजों को आयुर्वेद में 'विरुद्ध आहार' की कैटिगरी में रखा जाता है।
गलत कॉम्बिनेशन का शरीर पर नाकारात्मक प्रभाव :-
विरुद्ध आहार लगातार लेने से पेट में तकलीफ, चर्म रोग, खून की कमी (एनीमिया), शरीर पर सफ़ेद चकते, पाचन का खराब होना, पेट से संबधित रोग, पित्त की समस्या हो सकती है साथ ही मोटापा, बी.पी, शुगर आदि बीमारियां भी हो सकती है।
जैसे की दूध और दही का कभी भी इकट्ठे सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि दोनों की तासीर अलग होती है।दोनों को मिक्स करने से बिना खमीर वाला खाना खराब हो जाता है। जिससे एसिडिटी बढ़ती है साथ ही गैस, अपच व उलटी हो सकती है।
गर्म व ठंडे पदार्थों को एक साथ खाने से जठराग्नि व पाचनक्रिया मंद हो जाती है |
दूध में मिनरल और विटामिंस के अलावा लैक्टोस शुगर और प्रोटीन होते हैं।दूध एक एनिमल प्रोटीन है और उसके साथ ज्यादा मिक्सिंग करेंगे तो रिएक्शन हो सकते हैं। फिर नमक मिलने से मिल्क प्रोटींस जम जाते हैं और पोषण कम हो जाता है। अगर लंबे समय तक ऐसा किया जाए तो स्किन की बीमारियां हो सकती हैं। आयुर्वेद के मुताबिक उलटे गुणों और मिजाज के खाने लंबे वक्त तक ज्यादा मात्रा में साथ खाए जाएं तो यह गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आयुर्वेद के मुताबिक परांठे या पूरी आदि तली-भुनी चीजों के साथ दही जैसी चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि दही फैट के पाचन में रुकावट पैदा करता है।
खाने के बाद चाय का सेवन करना हानिकारक हो सकता है, यह एक गलत धारणा है कि खाने के बाद चाय पीने से पाचन बढ़ता है। हालांकि ग्रीन टी, हर्बल टी, या सौंफ, दालचीनी, अदरक आदि से बनी बिना दूध की चाय का सेवन किया जा सकता हैं।
फास्ट फूड या तली-भुनी चीजों के साथ कोल्ड ड्रिंक के बजाय जूस, नीबू-पानी ले सकते हैं। जूस में मौजूद विटामिन-सी खाने को पचाने में मदद करता है।
4 बजे के बाद केले, दही, शरबत, आइसक्रीम आदि का सेवन ना करे।
सुबह नाश्ते में फलों का सेवन अच्छा रहता है, इसे किसी अन्य खाने के साथ मिलाकर ना ले।
यह निम्नलिखित चीज़ों का एक साथ बिलकुल सेवन न करें ये सेहत के लिए हानिकारक है :-
दूध के साथ फल इत्यादि का सेवन न करें।
दूध के साथ खट्टे अम्लीय पदार्थ का सेवन न करें ।
दूध के साथ नमक वाले पदार्थ भी नही खाने चाहिए।
दही, शहद अथवा मदिरा के बाद गर्म पदार्थों का सेवन न करें।
केले के साथ दही या लस्सी लेना हानिकारक होता है।
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